आपदा को अवसर में बदलकर झोली भरने में जुटा शहर का सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल.. बचकर रहें वरना धन से भी जाएंगे और तन से भी..
बिलासपुर- एक तरफ जहां राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस के प्रकोप से जान – माल की सुरक्षा के लिए कोविद सेंटर बनाकर कम से कम खर्च पर मरीजों को राहत पहुंचाने के लिए कई एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर पूर्व में संचालित रेस्तरां के इन्फ्रास्ट्रक्चर को परिवर्तित कर देवों के देव महादेव के नाम पर संचालित महादेव सुपर स्पेशियलिटी जैसे हॉस्पिटल मरीजों की जेब पर डाका डालने पर आमादा हैं.. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जिला अस्पताल में किए गए कोरोना टेस्ट में नेगेटिव परिणाम आने के बाद एक व्यक्ति को पुन: परीक्षण के लिए डॉ आशुतोष तिवारी द्वारा संचालित व्यापार विहार बिलासपुर स्थित महादेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में दस दिन पहले दाखिल किया गया था.. परीक्षण में कोरोना पॉजि़टिव बताकर मरीज का ट्रीटमेंट शुरू कर दिया गया.. गौरतलब है कि.. महादेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में 50 कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है.. मजे की बात है कि अभी हाल ही में बिलासपुर कलेक्टर सारांश मित्तर द्वारा इस आशय की जानकारी दी गई थी कि कोरोना उपचार के लिए शासन की तरफ से स्थापित कोविड अस्पतालों में अभी भी एक हजार से भी अधिक बिस्तर खाली पड़े हुए हैं.. ऐसे में सवाल यह उठता है कि.. आखिर क्या वजह है कि सुपर डूपर निजी अस्पतालों में कॉरोना ट्रीटमेंट के लिए मरीजों से लाखों की वसूली के बावजूद लंबी लाइन लगी हुई है.. दरअसल यह पूरा मामला सरकारी अस्पतालों तक उपचार के लिए पहुंचे मरीजों को निजी कोविड़ सेंटरों तक पहुंचाने के लिए वसूले जाने वाले लाखों के कमीशन से जुड़ा हुआ है..
महादेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में कोरॉना संक्रमितों के लिए निर्धारित सेवा शुल्क,नर्सिंग तथा उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की खुदरा कीमत का सवाल है,इतना कह देना ही पर्याप्त है कि वेंटिलेटर सहित आई सी यू के लिए 18000 हजार रुपए,वेंटिलेटर रहित के लिए 13000 हजार, HDU ( हाई डिपेंडेंसी यूनिट ) के लिए 5000 हजार रुपए तथा पी डबल्यू के लिए चार्ज किए जाने वाले 8000 हजार रुपयों ( शुल्कों ) की बदौलत महादेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की पांचों उंगलियां घी और सर कड़ाही में है । कहने का तात्पर्य यह है कि शासकीय कॉविद सेंटरों में जहां मुफ्त में इलाज किया जा रहा है,वही महादेव सुपर स्पेशियलिटी जैसे हॉस्पिटल एक कोरोना संक्रमित के इलाज के लिए 26000 हजार से 31000 हजार रूपए प्रतिदिन वसूल कर रहे हैं,जो कि न केवल शासन तथा जिला प्रशासन के मुंह पर तमाचा है,बल्कि उन तमाम मरीजों के साथ किय़ा जा भद्दा मजाक भी है, जो पूरे विश्वास के साथ महादेव जैसे स्वनाम धन्य लुटेरे निजी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं..
महादेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान काल कवलित हो चुके मरीजों की लंबी फेहरिस्त है,जिसका रिकार्ड हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा मेंटेन नहीं किय़ा जाता और न ही मरीज की मौत की बाबत संबंधित थाने में सूचना दी जाती है,जो कि एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है । अब सवाल यह उठता है कि छ ग सरकार द्वारा कोरोनावायरस की रोकथाम तथा उपचार के लिए निजी अस्पतालों द्वारा ली जाने वाली भारी भरकम शुल्कों के लिए जारी दिशा निर्देशों की लगातार अवहेलना किसकी शह पर की जा रही है.. दरअसल राज्य स्वास्थ्य महकमे के निकम्मेपन तथा कमीशनखोरी ने अधिकारियों के मुंह पर ताला जड़ दिया है.. एक तरफ जहां कोरोना महामारी से प्रत्येक आम- ओ- खास की जिंदगी नारकीय और बेजार हो चुकी है,आर्थिक तंगी तथा बेरोजगारी ने लोगो का जीना मुहाल कर दिया है, वहीं दूसरी ओर महादेव सुपर स्पेशियलिटी जैसे हॉस्पिटल अपनी तिजोरी भरने में जुटे हुए हैं..
कुछ भी हो राज्य शासन तथा आयकर विभाग को संयुक्त रूप से इस मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए ताकि महादेव जैसे अस्पतालों की करतूतें आम जनता के बीच नुमायां की जा सके । पता चला है कि हॉस्पिटल में इलाज करा चुके कई मरीजों द्वारा प्रबंधन के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय तथा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार नईदिल्ली से शिकायत की जा रही है.. एक तरफ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के इलाज के लिए पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन ब नाने के लिए दिन – रात जुटे हुए हैं, तो दूसरी ओर महादेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के संचालक डॉ आशुतोष तिवारी द्वारा कोविड 19 के सटीक इलाज का दावा किस आधार पर किया जा रहा है,उसकी जांच होनी चाहिए.. इस बात में कोई दो राय नही हो सकती है कि डॉ आशुतोष तिवारी जैसे प्रोफैशनल डाक्टरों की वजह से चिकित्सा जैसे नि:स्वार्थ सेवा भाव से जुड़े हुए होने के बावजूद जिस प्रकार से महादेव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का व्यवसायीकरण किय़ा जा रहा है,उसे समाज में डाक्टरों की गिरती साख के लिए जिम्मेदार माना जा सकता है..