पितृ पक्ष श्राद्ध के अंतिम दिन टिकरापारा सेवाकेन्द्र के हार्मनी हॉल में पूर्वजों को लगाया भोग..  श्राद्ध पर करें सभी को अपनत्व देने का संकल्प, देवी-देवताएं ही सभी के पूर्वज हैं – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी..

बिलासपुर- श्राद्ध के अवसर पर हम अपने पूर्वजों को भोग लगाते हैं व उनकी मुक्ति की कामना करते हैं.. वास्तव में जब यह दुनिया सतोप्रधान थी तो इस लोक में देवी-देवताओं का राज्य था.. और यही देवी-देवता धर्म इस सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष का मुख्य तना है जिससे कालांतर में सभी धर्म, मठ, पंथ, समाज रूपी शाखाएं विकसित हुए हैं.. अब इस कलयुग के अंत अर्थात् महापरिवर्तन काल में सभी धर्म की आत्माएं एक मंच पर उपस्थित होकर एक पिता परमात्मा का परिचय देंगी.. उसके पश्चात् ही दैवीय दुनिया का इस सृष्टि पर आगमन होगा.. उक्त बातें आज श्राद्ध के अंतिम दिन अपने पूर्वजों के आह्वान के साथ उन्हें भोग स्वीकार कराने के पश्चात् सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी ने कही। दीदी ने कहा कि पुनर्जन्म में आते-आते हम अपने को देह समझने लगे हैं क्योंकि अपने पूर्व जन्म को भूल चुके हैं लेकिन परमात्मा हमें बताते हैं कि हम ही पूर्वज हैं.. क्योंकि आत्मा तो अजर-अमर- अविनाशी सत्ता है.. शरीर नष्ट हो जाता है लेकिन आत्मा की यात्रा तो निरंतर चलती ही रहती है.. और पूर्वज आत्मा के अंदर प्रेम, दया, रहम, क्षमा की भावना का होना बहुत जरूरी है क्योंकि.. बड़ों का स्वरूप हमेंशा क्षमा का होना चाहिए भले ही छोटे उत्पात ही क्यों न मचाये.. इस कल्याणकारी संगमयुग के समय सच्चा श्राद्ध हमें ही करना है.. दीदी ने सभी साधकों से कहा कि इस कोरोना काल में सभी अपने स्वास्थ्य का ध्यान जरूर रखें, गर्म पानी पीयें, दिन में दो-तीन बार भाप लें व शासन द्वारा कोरोना से सुरक्षा व सावधानी के जो भी निर्देश हैं उनका पालन करें.. टिकरापारा सेवाकेन्द्र में गुरूवार को पितृ पक्ष श्राद्ध के अंतिम दिन पूर्वजों को भोग लगाया गया.. शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए दिन भर में चार ग्रुप में सत्संग कराया गया.. बॉडी सेनिटाइजेशन व मास्क लगाने के नियम का पालन करते हुए साधकों ने सत्संग का लाभ लिया.. साथ ही ऑनलाइन मीटिंग के माध्यम से अन्य साधकों ने भी सत्संग में जुड़े रहे.. जिसमें पूना, नागपुर, रायगढ़, तमनार आदि दूरस्थ स्थानों के भाई-बहन भी शामिल थे..

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