कंटेंटमेंट जोन में आपदा को अवसर में बदल रहे नशे के व्यापारी.. बिलासपुर में जरूरत का सामान मिले न मिले लेकिन नशे का सामान 24 घण्टे उपलब्ध है..

कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में जहां एक और पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है.. वहीं देश समय प्रदेश में इन दिनों एक बार फिर लॉकडाउन का दौर चल रहा है छत्तीसगढ़ के कई जिलों पर कड़े नियमों के साथ वीकेंड लॉकडाउन लगाया गया.. छत्तीसगढ़ की नया धानी बिलासपुर में 22 सितंबर से 28 सितंबर तक बिलासपुर के नगरीय इलाकों को कंटेनमेंट जोन घोषित कर पूरी तरह बंद किया गया है.. इस दौरान किराना और सब्जी व्यवसाई तक को छूट नहीं मिली है.. लेकिन बिलासपुर के शहरी इलाकों में नशे का व्यापार दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है.. आपदा को अवसर में बदलकर नशे के व्यापारी पैसा कमाने में जुटे हुए हैं.. शहर के तालापारा इलाके और सरकंडा क्षेत्र में जरूरत का सामान आपको मिले ना मिले, लेकिन नशे के सौदागर 24 घंटे सेवारत है.. पिछले कुछ महीनों से बिलासपुर पुलिस द्वारा नशे पर लगाम लगाने के लिए किसी भी प्रकार का ठोस कदम नहीं उठाया गया है.. इसकी वजह से इसमें कार्रवाइयां भी कम हुई हैं.. गांजा से लेकर अवैध शराब समेत इंजेक्शन और टेबलेट के व्यापारियों की शहर में बाढ़ सी आ गई है.. और पुलिसियां कार्रवाई न होने से उनके हौसले भी बुलंद है.. इन व्यापारियों द्वारा अपने गुर्गों के साथ मिलकर शहर के बस्ती वाले इलाकों में अपना कब्जा जमा लिया गया है और वहां के गरीब रह वासियों को डरा धमका कर अपना व्यापार चलाया जा रहा है..
तालापारा, चिंगराजपारा, मिनी बस्ती और सिरगिट्टी है व्यापार का मुख्य केन्द्र..
वैसे तो पूरे शहर में नशे के व्यापारियों का कब्जा इन दिनों चल रहा है.. गांजा समेत अवैध शराब इस लॉकडाउन के दौर में भी आसानी से मिल जा रहे हैं.. लेकिन शहर के प्रमुख बस्तियों जैसे तालापारा, चिंगराजपारा, मिनी बस्ती और सिरगिट्टी नशे व्यापार का मुख्य केन्द्र बन गया है.. तालापारा में रहमान, अनिल जैसे निगरानीशुदा बदमाश अपना व्यापार संभाल रहे हैं तो वही सरकंडा में राजू बंदर वाला समय कई लोग गांजा अवैध शराब और इंजेक्शन टैबलेट्स का धंधा कर रहे हैं.. इनके घरों के आसपास सुबह से शाम तक शहर के युवाओं का हुजूम देखा जा सकता है.. मिनी बस्ती में धर्मेंद्र द्वारा अपना साम्राज्य स्थापित किया गया है.. बिलासपुर पुलिस द्वारा उच्च अधिकारियों के दबाव में एक आद बार दिखावटी कारवाई तो कर दी जाती है.. लेकिन इनका ठोस निर्णय ना हो पाने की वजह सही है.. पुनः वापस आकर अपने साम्राज्य को खड़ा कर लेते हैं और जीवन को काल के गाल में डालने से नहीं चूकते..

पूर्व में मिनी कश्ती में ऐसे ही एक नशे के व्यापारी द्वारा मोहल्ले में रहने वाले युवक के साथ बेतरतीब मारपीट की गई थी.. जिसके बाद आसपास के लोगों ने सिविल लाइन थाने का घेराव किया था इसके बाद वहां के थानेदार ने नशे के व्यापारियों को गिरफ्तार कर उनका जुलूस भी निकाला था.. लेकिन पुलिस द्वारा शिकायतों की लंबी फेहरिस्त होने के बाद ही कार्रवाई करती है.. जिसकी वजह से इनके हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं.. लॉकडाउन के दौर में भी जहां एक और किराना का सामान भी खरीदना मुश्किल हो चला है लेकिन नशे का सामान आसानी से शहर के अलग-अलग हिस्सों में मिल जा रहा है..

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