जेब मे झीरम का सबूत होने की बात कहने वाले भूपेश बघेल व कांग्रेस पार्टी ढाई साल अपने जेब से सबूत नहीं निकाल पाई,झीरम का सच कांग्रेस का सर्वनाश लेकर आएगी इसलिए कांग्रेस नहीं चाहती झीरम का सच सामने आए-बृजमोहन अग्रवाल
रायपुर- भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने झीरम घाटी कांड में रिपोर्ट सौंप कर काम समाप्त करने के बाद राज्य सरकार द्वारा न्यायायिक जांच आयोग का समय सीमा बढ़ाने व सदस्यों की संख्या बढ़ाये जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार पूरी तरह से डरी, सहमी व घबराई हुई है कि कही सच्चाई सामने आ गई तो कांग्रेस का क्या होगा ? श्री अग्रवाल ने कहा कि भूपेश बघेल की सरकार एक-एक कर लगातार संवैधानिक संस्थाओं के अपमान कर रही है। जब सरकार ने जांच रिपोर्ट देखे ही नहीं, जांच रिपोर्ट उनको मिला ही नहीं, फिर यह कैसे कह सकती है कि जांच रिपोर्ट अधूरा है।
बिना जांच रिपोर्ट देखें रिपोर्ट के बारे में टिप्पणी करने व उस रिपोर्ट का इंतजार न कर आनन फानन में कांग्रेस प्रमुख का बयान आना व मुख्यमंत्री के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार झीरम घाटी का सच सामने आ जाने को लेकर सहमी, घबराई व डरी हुई है। जांच रिपोर्ट के इंतजार किए बिना आनन-फानन में कांग्रेस पार्टी व सरकार लगातार बयान दे रही है। न्यायायिक जांच आयोग द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत कर देने के बाद, ऐसे ही आयोग का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। किंतु सरकार ने कार्यकाल बढ़ाकर व सदस्य संख्या बढ़ाकर यह तो स्पष्ट कर दी है कि सरकार के नियत में कहीं ना कहीं खोट है। सरकार नहीं चाहती कि झीरम का जांच रिपोर्ट सामने आए।श्री अग्रवाल ने कहा की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व कांग्रेस पार्टी चिल्ला-चिल्ला के कहती थी कि उनके जेब में झीरम के सच का सबूत है। एक दिन में दूध का दूध व पानी का पानी कर देंगे। पर इस सबूत को जेब से ढाई साल में नहीं निकाल पाए। उन्हें मालूम है कि उनके जेब में रखे सबूत में उनके खुद के लोगों के नाम उनके पार्टी के नेताओं का नाम सामने आएंगे, झीरम का सच कांग्रेस का सर्वनाश लेकर आएगी इसलिए मुख्यमंत्री व कांग्रेस चाह कर भी ढाई साल में जेब से सबूत नही निकाल पाई।
श्री अग्रवाल ने न्यायिक जांच आयोग के रिपोर्ट को देखें बिना उन्हें अधूरा कहे जाने पर कहा कि कांग्रेस का इतिहास ही संवैधानिक संस्थाओं का अपमान का रहा है। जब रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है व रिपोर्ट सार्वजनिक होनी ही चाहिए। सरकार को ऐसी क्या हड़बड़ी थी कि रिपोर्ट का इंतजार किए बिना रिपोर्ट सौप कर काम समाप्त कर चुके जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया । नए सदस्यों की नियुक्ति की गई। यही सब संदेहों को जन्म दे रही है कि कांग्रेस झीरम घाटी का सच सामने आना नहीं देना चाहती।