कोरोना से प्रदेश के हालात बिगड़े.. छत्तीसगढ़ सरकार ने किया आत्मसमर्पण- रौशन सिंह..
भाजयुमो नेता रौशन सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि.. छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, लोगों के रिकवर होने में निश्चित रुप से डॉक्टरों और फ्रंटलाइन वर्कर्स ने अहम भूमिका निभाई है लेकिन क्या इससे यह साबित होता है कि सरकार कोविड से लड़ने में कामयाब साबित हो रही है? सरकार ने कोरोना के मामले में हांथ खड़े कर दिए है.. गाँव हो या शहर,हर गली मोहल्लों में कोरोना संक्रमित मिल रहे है.. दाऊसाहब ने दो मंत्रियों को भोपू पकड़ाया है लेकिन जिसे जो जब मर्जी आए राज्य की जनता को अपना फरमान सुनाकर मानो नवा छत्तीसगढ़ चालू करने के लिए दौड़ लगा रहा हो।स्वास्थ मंत्री तो शायद इस बात से संतुष्ट हो जाये कि उनकी घोषण अनुसार संख्या अगस्त में 23 हजार तक हो.. कुल मिलाकर कोरोना के नाम पर गिनतियो का जाल बुनने का खेल चल रहा है.. कोरोना संक्रमण को कैसे रोका जाए इस पर ध्यान नही दिया जा रहा है.. राज्य की जनता को याद होगा 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 25 मार्च को लॉकडाउन के ऐलान के साथ ही प्रदेश के सभी मंत्रियों ने अपने आप को होम क्वारंटाइन कर लिया था,सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए गए थे.. आगे आने वाले कई दिनों तक जनता को मुंह तक नहीं देखा केवल केंद्र की सरकार को कोसते रहे और राहुल गांधी के फार्मूले पर कोरोना का निदान देश मे ढूंढते रहे और आंकड़ों की जादूगरी दिखाकर कोरोना के 13 वारियर्स जनता के दुख और दर्द हो के मसीहा बने रहने का दिखावा करते रहे।आज रोज जलसे सभा रैली सम्मेललन हो रही है,सोशल डिस्टेंसिंग का गले लग लग कर पालन हो रहा, प्रशासन केवल गरीबो तक जुर्माना लगाता है और रैलियों के लिए गले की मालाओं की इंतजाम करते हैं.. देश का दुर्भाग्य है कि कभी तबलीगी जमात के नाम पर तो कभी श्रमिकों के पलायन के नाम पर देश के लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को भावनाओं के नाम पर ताक पर रख दिया गया.. नतीजा सबके सामने हैं.. सावधानी हटी दुर्घटना घटी का नारा तो दिया जाता रहा.. लेकिन रोज वो तस्वीरें सामने आते रहे जिसमें कोरोना के मामले में ली आ रही सावधानियों की तस्वीरें साफ नजर आती रही.. राज्य के विभिन्न ग्राम पंचायतों की 20 हजार से ज्यादा क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाली केवल समाचार पत्रों की सुर्खियां नहीं थी बल्कि इन केंद्रों में गई अनेको लोगो की जान के बारे में राज्य सरकार का रुख ऐसा रहा जैसे कुछ हुआ ही न हो.. राजनीतिक दल और उनके मुखिया हरेली, तीजा, पोला, आदिवासी दिवस, राजनीतिक नियुक्तियों, रोका, छेका, नरवा, गरुवा, घुरुवा,बारी, केंद्र सरकार विरोधी रैलियों, धरना प्रदर्शन,जमावड़े के हर उस आयोजन के गवाह बने जिस की राह पर चलकर राजधानी रायपुर कोरोना का हॉटस्पॉट बन गई है.. आज राज्य में प्रतिदिन 600 से 800 मामले सामने आ रहे हैं.. सच से दूर सरकारी आंकड़ों के अनुसार 17 हजार के करीब लोग संक्रमित हो चुके हैं और 160-180 लोगो की मौत हो चुकी है।कोरोना काल में पीएम केयर फंड ने लोगों की काफी मदद की है, लेकिन राहुल गांधी सहित दाऊ साहेब इसे लेकर लगातार भ्रम व झूठ फैलाते रहे.. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इंडियन एक्सप्रेस में छपे लेख को उन्हें जरूर पढ़ना चाहिए, जिससे शायद सच समझ आ जाए.. आज इस बात का खुलासा जरूरी भी हो गया है कि.. क्या यह वही राहुल गांधी का फार्मूला है जिसे कोरोना का प्रदेश में निदान हो रहा है और दाऊ साहब सैकड़ो की संख्या में भीड़ जुटाकर लोक संस्कृति के संरक्षक और अगुआ बनकर ऐसे ढपली और ढोल पीट रहे हैं,जसगीत गा रहे है जैसे लोक संस्कृति का आगाज इन्होंने ही किया.. इन्हें देखकर वह कहावत याद आती है रोम जल रहा है और नीरो बंसी बजा रहा हो.. छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकांश जिलों में कोरोना के मामले जांच के परिपेक्ष्य में बढ़ते जा रहे हैं.. राज्य की सरकार में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है.. प्रदेश में केवल राजनीतिक व्यवसायिक मानदंडों के आधार पर लाभ और हानि को देखते हुए लुका छिपी का खेल चल रहा है और आए दिन की बेफिजूल की योजनाओं का गुणगान करके जनता का ध्यान बांटने की कोशिश की जा रही है.. आज प्रदेश के लोगों की कोरोना से सुरक्षा सबसे बड़ी आवश्यकता है। नेता, मंत्री,अफसर, कर्मी, संत्री से लेकर आमजन संक्रमण की चपेट में आ रहे है। एक तो राज्य की टेस्टिंग क्षमता महज कुछ हजार है, टेस्टिंग के रिजल्ट में भी वीआईपी नान वीआईपी की कलाबाजी अलग चल रही है.. वास्तविक में प्रदेश में संक्रमण के हालात बेतरतीब है जिसे राज्य सरकार को ठंडे दिमाग से समझ कर जनहित में शीघ्र ही ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे लोगों के जानमाल की सुरक्षा सही मायने में हो सके.. केंद्र सरकार पर दोषारोपण के पहले कोरोना प्रबंधन के लिए राज्य मद से खर्च की गई राशि का ब्यौरा प्रदेश सरकार को देना चाहिए।केंद्र सरकार की मदद से राज्य में हर सम्भव इंतजाम किये गए लेकिन राज्य सरकार आलोचना के विजन से परिस्थितियों सही आकलन नही कर सकी.. प्रदेश सरकार की इसी अनदेखी,अदूरदर्शिता, हठधर्मिता से छत्तीसगढ़ में कोरोना का फैलाव बढ़ रहा है और साफतौर पर कहा जा सकता है कि राज्य सरकार ने कोरोना प्रबंधन के मामले में आत्मसमर्पण कर राज्य की जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया है..