नियम क्या हुए नरम अवैध जमीन की प्लाटिंग का बाजार हुआ गरम ,भृष्ट राजस्व के मामलों के गरम सवाल पर हुए राजस्व मंत्री नरम

दिलीप अग्रवाल की रिपोर्ट

जिस दिन से प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने जमीन की खरीदी बिक्री को लेकर नियमो में जो नरमी बरती है निश्चित रूप से जमीनों की खरीदी बिक्री में राजस्व की बढ़ोतरी जरूर हुई है लेकिन ये भी सच है कि की जमीन के खेल में राजस्व से जुड़े अधिकारी कर्मचारी भी मालामाल हो रहे है और उनकी सम्पति में भी तेजी से इजाफा हो रहा है कई राजस्व अधिकारी कर्मचारी तो इतने धन्ना सेठ हो गए है कि एंटी करप्शन बूयरो इनके खिलाफ करोडो रु की अघोषित सम्पति की जांच भी कर रही है ।

शातिर खिलाड़ीयो को जांच प्रभावित और गुमराह करने में भी महारात हासिल है । जमीनों की बिक्री खरीदी के लिए बनाए गए नियमो की प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर में खुलेआम धज्जिया उड़ाई जा रही है । बिलासपुर का शायद ही कोई ऐसा कोना बचा हो जहा में भूमाफिया सक्रिय न हो । खुलेआम बिना किसी सरकरी अनुमति के और गाइडलाइन के पालन किये बिना जमीन का कारोबार चरम सीमा पर है ऐसा नही है कि जमीन के इस अवैध कारोबार की जानकारी राजस्व विभाग को नही है पटवारी से लेकर तहसीलदार और एसडीएम से लेकर कमिश्नर तक सबके पास इन भूमाफियाओं की सैकड़ो शिकायत लंबित है । लेकिन कुछ मामलों को छोड़ दे तो बाकी शिकायते किसी अंजाम तक पहुचती नजर नही आ रही है । राजस्व विभाग की मिलीभगत और उदानसीनता के चलते भूमाफ़िया बिना किसी भय डर के खुलेआम जमीन का अवैध कारोबार की दुकान मुख्य मार्गो में सजाएं बैठे शासन को नियमो का ठेंगा दिखाते साफ नजर आ रहे है । बिलासपुर -रायपुर रोड हो या फिर बिलासपुर से रतनपुर ,तखतपुर , सीपत मस्तूरी मुख्य मार्ग हर जगह भूमाफिया ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने दुकान लगाए साफ साफ नजर आ जाएगा । ताज्जुब की बात तो ये है कि तमाम शिकायतों के बाद भी इन रास्तों में मंत्री से लेकर सन्त्री और कमिश्नर कलेक्टर से लेकर राजस्व के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के आना जाना लगातार लगा रहता है समय समय पर मीडिया में खबरे प्रसारित होने और शिकायतों के बाद भी इन जिम्मेदार अफसरों की नजर इन पर क्यो पड़ती।।ऐसा क्या है जो भूमाफिया पर इनायत रहती है ये तो इनसे ज्यादा कोई नही बता सकता ? जमीन के खेल में कब कार्यवाही होगी और कौन करेगा ये भी बड़ा सवाल है ? अमोद प्रमोद की जमीन हो या फिर ग्रीन लैंड /छोटा झाड़ जंगल की जमीन हो या फिर सरकारी जमीन राजस्व के कुछ जिम्मेदारों की शह पर दस्तावेजो में हेरा फेरी कर करोडो की जमीनों का वारा न्यारा किया जा चुका है । हैरत की बात तो है की ऐसी संदिग्ध जमीन के मामलो के खुलासे के बाद भी दोषियों पर अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है । लेकिन इस तरह की जमीन जरूर विवादित हो गई है और इनकी खरीदी बिक्री पर रोक लगा दी गई है लेकिन बडा सवाल ये है कि भूमाफियो के चंगुल में फंसकर और राजस्व विभाग से जारी ज़मीन के दस्तावेजो को सही मानकर अपने खून पसीने के कमाई कर जमीन खरीदने वाले न तो खरीदी गई जमीन पर न तो अपने सपने का आशियाना बना पा रहे है और न किसी आपातकालीन स्तिथि में विवादित जमीन को बेच पा रहे है उनका क्या दोष? सारे सवालो का जबाब जिम्मेदारों के पास है पर कार्यवाही करने की हिम्मत किसी के पास नही है । और इसलिए राजस्व विभाग और भूमाफ़ियाओ की मिलीभगत का आरोप समय समय पर लगते रहते है और इसके शक के घेरे में बडे अधिकारियों भी आते रहते है । लेकिन उसके बावजूद किसी तरह की कोई ठोस कार्यवाही नही होने की वजह से अब बिलासपुर जिला प्रशासन के बाद प्रदेश के मुखिया से लेकर राज्य के राजस्व मंत्री तक भी पहुच गई है ।मंत्री भी सवालों से बचते नजर आएशायद ये ही वजह थी कि बिलासपुर में आज प्रेसवार्ता के दौरान हर विषय पर बेबाकी से पत्रकारों को सवालो के जबाब देते मंत्री जयसिंह अग्रवाल ज़मीन मामले में जबाब देते समय असहज नजर आए और सवालो से बचते नजर आए । अब देखना होगा कि राजस्व से जुड़े मामलो में जिम्मेदार कितने गम्भीर होते है और कब शिकायतों का निराकरण कर कितनी जल्दी इन भूमाफ़ियाओ पर कार्यवाही करते है ताकि राजस्व मंत्री अगली बार ज़मीन से जुड़े मामलों में पत्रकारों के सामने बेबाकी से अपनी राय रख सके और मीडिया के माध्यम से आम लोगो तक जानकारी पहुच सके और भोले भाले लोग इन भूमाफ़ियाओ के चंगुल से बच सके ।

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